डॉ० अरुण कुमार राय
प्राचार्य
महाविद्यालय अपने उदभवकाल से विद्या और राजनीतिक ज्ञान के शीतल – स्निग्ध आलोक से मण्डित अध्यक्ष, प्रबन्धक तथा अन्य सदस्यगण के व्यवहार और कार्य – कलापों से दिन प्रतिदिन आगे बढा | इस विद्यालय के प्रेरणास्त्रोत डॉ. राममनोहर लोहिया और लोकबन्धु राजनारायण रहे हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीति को अपनी प्रातिभ – धूति से आलोकित किया तथा राजनीतिक कुशलता की विविध (सरणियों) से भारतीय जागरण और लोकतंत्र का शंखनाद किया |
इसी सन्दर्भ में उस महानायक के कुछ कार्यों की चर्चा अपेक्षित है, जिनके बलिदान सद्र्श्य कार्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए पाथेय बना | कबीर के समान सब कुछ त्याग कर राष्ट्र सेवा तथा दलित और उपेक्षित लोगों के जीवन जगाने के लिए लोकबन्धु जिस मार्ग पर चल पड़े, वे जीवन पर्यन्त उस पर अडिग रहे | इसी सन्दर्भ में महाविद्यालय के नामकरण के आधार पर डॉ. लोहिया को भी याद करना अपेक्षित है, जिन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में यह उद्गार प्रकट किया था | दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ समृद्ध लोकतन्त्र और सांस्कृतिक परम्परा वाला देश एक प्रकार से राजशाही और उच्छ्ल्तावाद की अंधड़ भरी अंधेरी गुफा में आ गया है | परिणामतः आज तानाशाही और परिवारवाद के कठोर आतंक से लोकतन्त्र की रोशनी के सामने भयंकर संकट उत्पन्न हो गया है | देश प्रीति का दरिद्र और अबंधुत्ववाद की भयंकर व्याधि के रूप में दिखा अनिष्ठा देश के सामने पथ को स्थिर कर दिया है|
गुलामी के लम्बे इतिहास को बदलने और नूतन सबेरा लाने में समर्थ युवा पीढ़ी की मातृभूमि के प्रति अनुराग तथा ममता धूमिल पड़ गयी है | भूल गये हैं की असंख्य जन समुदाय स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राणों को अर्पित कर दिया | तत्प्श्यत देश की स्वतंत्रता देशवासियों को हासिल हुयी | परन्तु उस प्राप्त स्वतंत्रता को तानाशाही के पैरों तले कुचलते देखकर कुछ गिने- चुने राष्ट्र – भक्तों का मान अवसाद से भर उठा है | आज राष्ट्र, उत्कर्ष और उसके हित में प्रेरणा देने वाली चेतना की जलती स्फुलिंग राख की ढेर में दब गयी है | अतः इस तिमिराच्छ्त्र अशुभ घड़ी में देश को विकास की ओर ले जाने वाली युवा चेतना ही है | ये ही सौहार्द तथा अपनापन भाव की तीर्व भावना से लोकमानस को जगाने के लिए लोकमंच और लोकवाणी की हाँक लगा सकते हैं | समृद्ध संस्कृति – परम्परा वाला यह देश असभ्य संस्कृति की धूलभरी आँधी में आ गया है | परिणामस्वरूप उपभोक्तावादी संस्कृति , नारिशील हरण और उनकी हत्या कर देने का ज्वार उठ गया है | आज यह दुराचरण संक्रामक व्याधि के रूप में इस देश में फ़ैल गया है | छात्र समुदाय के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उनकी अग्नि परीक्षा के लिए तैयार है |
इस सन्देश के माध्यम से सम्पूर्ण अध्ययनरत छात्र/छात्रा वर्ग से मुझे कहना है की इस दुराचरण के लम्बे इतिहास को बदलने और नारी जगत् के जीवन में नया सबेरा लाने में वे प्रतिबद्ध हो जाय | तभी लोकमानस में अवस्थित अवसाद धूमिल होगा और समाज में मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा होगी |